About Me

My photo
I am a Maths/Science Assistant Teacher in Jain Inter College, Karhal (Mainpuri) U.P. 205264

Tuesday, October 26, 2010

राष्ट्र-गीत - वंदे मातरम्

1870 के दौरान अंग्रेज हुक्मरानों ने ‘गॉड सेव द क्वीन’ गीत गाया जाना अनिवार्य कर दिया था। अंग्रेजों के इस आदेश से बंकिम चंद्र चटर्जी को जो तब एक सरकारी अधिकारी थे, बहुत ठेस पहुंची और उन्होंने संभवत 1876 में इसके विकल्प के तौर पर संस्कृत और बांग्ला के मिश्रण से एक नए गीत की रचना की और उसका शीर्षक दिया - ‘वंदे मातरम’। शुरुआत में इसके केवल दो पद रचे गए थे जो केवल संस्कृत में थे। इन दोनो पदों में केवल मातृ-भूमि की वन्दना थी। उन्हों ने १८८२ में जबआनन्द मठ नामक बांग्ला उपन्यास लिखा तब मातृभूमि के प्रेम से ओत-प्रोत इस गीत को भी उसमें शामिल किया। यह उपन्यास अंगरेजों के शासन तथा जमींदारों के शोषण के विरुद्ध जारी सन्यासी विद्रोह पर आधारित है। इसमें यह गीत सन्यासियों द्वारा ही गवाया गया है। इस उपन्यास में इस गीत के आगे के पद लिखे गए जो उपन्यास की भाषा अर्थात् बांग्ला में हैं। इन बाद वाले पदों में मातृभूमि की दुर्गा के रूप में स्तुति की गई है

राष्ट्रगीत के रूप में स्वीकृति

स्वाधीनता संग्राम में निर्णायक भागीदारी के बावजूद जब राष्ट्र गान के चयन की बात आई तो ‘वंदे मातरम’ की जगह ‘जन गण मन अधिनायक जय हे’ को वरीयता दी गई। इसकी वजह यही थी कि कुछ मुसलमानों को ‘वंदे मातरम’ गाने पर आपत्ति थी, क्योंकि इस गाने में देवी दुर्गा को राष्ट्र के रूप में देखा गया है। इसके अलावा उनका मानना था कि यह गीत जिस ‘आनंद मठ’ उपन्यास से लिया गया है। वह मुसलमानों के खिलाफ लिखा गया है। इन आपत्तियों के मद्देनजर सन 1937 में कांग्रेस ने इस विवाद पर गहरा चिंतन किया। जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में गठित समिति जिसमें मौलाना अब्दुल कलाम आजाद भी शामिल थे, ने पाया कि इस गीत के शुरूआती दो पद तो मातृभूमि की प्रशंसा में कहे गए हैं, लेकिन बाद के पदों में हिंदू देवी-देवताओं का जिक्र होने लगता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया कि इस गीत के शुरूआती दो पदों को ही राष्ट्रगीत के रूप में प्रयुक्त किया जाएगा। इस तरह ‘जन गण मन’ और ‘सारे जहां से अच्छा’ के साथ प्रारंभिक दो पदों का ‘वंदे मातरम’ गीत राष्ट्रगीत स्वीकृत हुआ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद डा. राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में २४ जनवरी १९५० में वन्दे मातरम् को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाने संबंधी वक्तव्य पढ़ा जिसे स्वीकार कर लिया गया।
डा. राजेन्द्र प्रसाद का संविधान सभा को दिया गया वक्तव्य है।
शब्दों व संगीत कि वह रचना जिसे जन गण मन से संबोधित करा जाता है भारत का राष्ट्रगान है,बदलाव के ऐसे विषय अवसर आने पर सरकार आधिकृत करे, और वन्दे मातरम् गान, जिसने कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे ऐतिहासिक भूमिका निभाई है, को जन गण मन के समकक्ष सम्मान व पद मिले (हर्षध्वनि) मै आशा करता हूँ कि यह सदस्यों को सन्तुष्ट करेगा। (भारतीय संविधान परिषद, खंड द्वादश:, २४-१-१९५०)

श्री अरविन्द ने इस गीत का अंग्रेजी में और आरिफ मौहम्मद खान ने इसका उर्दू में अनुवाद किया है|
सर्वप्रथम १८८२ में प्रकाशित इस गीत पहले पहल ७ सितम्बर १९०५ में कांग्रेस अधिवेशन में राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया। इसीलिए २००५ में इसके सौ साल पूरे होने के उपलक्ष में १ साल के समारोह का आयोजन किया गया। ७ सितम्बर २००६ में इस समारोह के समापन के अवसर पर मानव संसाधन मंत्रालय ने इस गीत को स्कूलों में गाए जाने पर बल दिया। हालांकि इसका विरोध होने पर उस समय के मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने संसद में कहा कि गीत गाना किसी के लिए आवश्यक नहीं किया गया है, यह स्वेच्छा पर निर्भर करता 

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में भूमिका

बंगाल में चले आजादी के आंदोलन में विभिन्न रैलियों में जोश भरने के लिए यह गीत गाया जाने लगा। धीरे-धीरे यह गीत लोगों में लोकप्रिय हो गया। ब्रितानी हुकूमत इसकी लोकप्रियता से सशंकित हो उठी और उसने इस पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करना शुरु कर दिया। 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में भी गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यह गीत गाया। पांच साल बाद यानी 1901 में कलकत्ता में हुए एक अन्य अधिवेशन में श्री चरन दास ने यह गीत पुनः गाया। 1905 में बनारस में हुए अधिवेशन में इस गीत को सरला देवी चौधरानी ने स्वर दिया।
कांग्रेस के अधिवेशनों के अलावा भी आजादी के आंदोलन के दौरान इस गीत के प्रयोग के काफी उदाहरण मौजूद हैं। लाला लाजपत राय ने लाहौर से जिस जर्नल का प्रकाशन शुरू किया उसका नाम ‘वंदे मातरम’ रखा। अंग्रेजों की गोली का शिकार बनकर दम तोड़नेवाली आजादी की दीवानी मातंगिनी हजारा की जुबान पर आखिरी शब्द ‘वंदे मातरम’ ही थे। सन 1907 में मैडम भीखाजी कामा ने जब जर्मनी के स्टटगार्ट में तिरंगा फहराया तो उसके मध्य में ‘वंदे मातरम’ ही लिखा हुआ था।

गीत

वंदे मातरम् (संस्कृत: वन्दे मातरम्, बांग्ला: বন্দে মাতরম ) भारत का राष्ट्रगीत है। [२]
बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा संस्कृत बांग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन 1882 में उनके उपन्यास ‘आनंद मठ’ में अंतर्निहित गीत के रूप में हुआ।[३] [[इस उपन्यास में यह गीत कुछ संन्यासीयों द्वारा गाया गया है । इसकी धुन जदुनाथ भट्टाचार्य ने बनाई है।
२००३ में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण मे जिसमे अब तक के दस सबसे मशहूर गानो का चयन करने के लिए दुनिया भर से लगभग ७,००० गीतों को चुना गया था, और बीबीसी के अनुसार, १५५ देशों/द्वीप के लोगों ने इसमे मतदान किया था, वंदे मातरम् शीर्ष के १० गानो में दूसरे स्थान पर था। 

इसका शीर्षक बन्देमातरम् होना चाहिये वन्देमातरम् नहीं। हिन्दी व संस्कृत भाषा में हंलाकि वन्दे सही है,लेकिन यह गीत मूलरुप में बंग्ला लिपि में लिपिबद्ध किया गया था। बग्ला लिपि में "व" अक्षर है ही नहीं। अतएव बन्देमातरम शीर्षक से ही बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने इसे लिखा था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुये कृपया शीर्षक "बन्देमातरम् या Bandemataram" कीजिये।
(संस्कृत मूल गीत)
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरंम् .
शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .
सुखदां वरदां मातरम् ॥

कोटि कोटि कन्ठ कलकल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥

तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् ॥

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् ॥




(बंगला मूल गीत)
সুজলাং সুফলাং মলয়জশীতলাম্
শস্যশ্যামলাং মাতরম্॥
শুভ্রজ্যোত্স্না পুলকিতযামিনীম্
পুল্লকুসুমিত দ্রুমদলশোভিনীম্
সুহাসিনীং সুমধুর ভাষিণীম্
সুখদাং বরদাং মাতরম্॥

কোটি কোটি কণ্ঠ কলকলনিনাদ করালে
কোটি কোটি ভুজৈর্ধৃতখরকরবালে
কে বলে মা তুমি অবলে
বহুবলধারিণীং নমামি তারিণীম্
রিপুদলবারিণীং মাতরম্॥

তুমি বিদ্যা তুমি ধর্ম, তুমি হৃদি তুমি মর্ম
ত্বং হি প্রাণ শরীরে
বাহুতে তুমি মা শক্তি
হৃদয়ে তুমি মা ভক্তি
তোমারৈ প্রতিমা গড়ি মন্দিরে মন্দিরে॥

ত্বং হি দুর্গা দশপ্রহরণধারিণী
কমলা কমলদল বিহারিণী
বাণী বিদ্যাদায়িনী ত্বাম্
নমামি কমলাং অমলাং অতুলাম্
সুজলাং সুফলাং মাতরম্॥

শ্যামলাং সরলাং সুস্মিতাং ভূষিতাম্
ধরণীং ভরণীং মাতরম্॥

 

Thursday, September 16, 2010

SLOGAN OF THE COLLEGE.....

सफलता का एक ही जादू 
 *******************
     कड़ी मेहनत...
          पक्का इरादा...
                दूर दृष्टि...
                    अनुशासन...
*******************

Monday, September 13, 2010

TEMPORARY STAFF......

श्री प्रदीप कश्यप 
श्री पंकज चौहान
श्री राजीव कुमार जैन (Computer)
श्री अंकित कुमार
श्री शैलेन्द्र कुमार
श्री अंकुर जैन (मोदी )
श्री अंकुश जैन 
श्री महेंद्र कुमार सैनी

Thursday, September 2, 2010

CURRENT TEACHER'S STAFF

 
श्री यदुवीर नारायण दुबे (प्रधानाचार्य)
श्री हरिओम यादव 
श्री सतेन्द्र यादव
श्री रनवीर सिंह यादव
श्री अशोक कुमार यादव
श्री अनूप चन्द्र मिश्रा
श्री मती रजनीश यादव
श्री गगन जैन
श्री मती सुषमा देवी यादव
श्री पवन कुमार यादव
श्री राजीव कुमार जैन
श्री अवधेश कुमार जैन
श्री मनीष कुमार जैन 
श्री कृष्णकांत पाण्डेय
श्री सुशील कुमार जैन
श्री अनिल कुमार जैन
श्री नीरज कुमार दुबे
श्री अवनीश  कुमार जैन
श्री प्रवेश कुमार  जैन
श्री धीरेन्द्र कुमार वर्मा
श्री संजीव कुमार पोरवाल
श्री सतीश चन्द्र गुप्ता 
श्री मती रीता जैन
श्री शशिवेन्द्र कुमार 
श्री अतुल कुमार जैन
श्री सतीश चन्द्र यादव 
श्री मोहित कुमार जैन
श्री सुरेन्द्र सिंह यादव 
श्री अंकित जैन
श्री मती ऋतु जैन 
श्री सौरभ जैन
श्री मुकेश कुमार जैन
श्री दीपक कुमार जैन
श्री शोभित जैन 
श्री संदीप कुमार जैन  

Clerks &VI Class Staff

श्री आरजू जैन
श्री  अविरल जैन
श्री रीतेश कुमार जैन
श्रीमती माया यादव
श्री राजवीर सिंह यादव
श्री अमित कुमार जैन
श्री मुन्ना लाल
श्री राजवीर सिंह
श्री अजय कुमार शर्मा
श्री रविन्द्र कुमार
श्री मती रेखा देवी
श्री सुधीर यादव
श्री रामगोविन्द यादव 
श्री अवधेश कुमार कश्यप  
श्री गणेश कुमार
  

Friday, August 20, 2010

Ex.TEACHER & STAFF....

सेवा निवृत्त शिक्षक  :
स्व०श्री मुलायम सिंह यादव (पूर्व मुख्य- मंत्री, उ० प्र० )
 श्री छोटे लाल  द्विवेदी  (पू० प्रधानाचार्य )
श्री सी० एल०  द्विवेदी ( पू० प्रधानाचार्य)
स्व० श्री नारायण दास दुबे ( पू० प्रधानाचार्य)
श्री वीरेंद्र  कुमार जैन ( पू० प्रधानाचार्य)
श्री नरेश चन्द्र  भटेले  ( पू० प्रधानाचार्य)
स्व० डा.श्री अरविंद कुमार जैन ( पू० प्रधानाचार्य)
 श्री रमेश चन्द्र  वर्मा
स्व० श्री ईश्वर चन्द्र  दीक्षित
श्री सुरेन्द्र कुमार कुलश्रेष्ठ
स्व० श्री सुरेन्द्र कुमार जैन
स्व० श्री कृष्ण मुरारी त्रिपाठी 
श्री दलवीर सिंह 
श्री जगदीश चन्द्र चौबे
श्री पी० पी०  सेंगर साहब
स्व० श्री सुभाष चन्द्र जैन (बाबु जी)
श्री सुभाष  चन्द्र जैन
श्री टीकाराम शाक्य
श्री ॐ प्रकाश यादव
श्री राम सेवक दुबे 
स्व० श्री सतीश चन्द्र जैन 
श्री सोबरन सिंह
श्री सुरेन्द्र सिंह मिश्र 
स्व० श्री सुखवीर सिंह
स्व० श्री राजेंद्र सिंह पाण्डेय
श्री राजेंद्र सिंह वर्मा
स्व० श्री नन्हे खां
श्री होरी लाल जैन
श्री जय कुमार जैन 
श्री श्रीनिवास यादव
श्री राकेश चन्द्र दुबे 
श्री मती  सुधा जैन  
श्री राम प्रकाश दुबे
श्री वी० के० शर्मा
श्री लाल सिंह धाकरे
स्व० श्री मती पुष्पा देवी
श्री देवेन्द्र पाण्डेय 
स्व० श्री राम नरेश मिश्रा
स्व० श्री किताब सिंह यादव (Librarian)
स्व०श्री ज्ञान सिंह दद्दू (chemistry lab. Assistant)
श्री श्रीकृष्ण जी 
श्री रामदीन जी 
स्व० श्री शैलेन्द्र कुमार जैन
स्व० श्री विमल चन्द्र जैन (मोदी जी )   
श्री दिनेश चन्द्र जैन 
श्री महाराज सिंह 
श्री रामबाबू कश्यप
श्री उदयवीर सिंह यादव
श्रीमती सरोज यादव
श्रीमती सुधा जैन
श्री नरेन्द्र कुमार यादव
श्री कमल कुमार जैन (शास्त्री जी)
स्व० विनीत कुमार

Wednesday, August 18, 2010

RASHATRA GAAN... JAN GAN MAN

जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान बंगाली में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था । भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्‌ है ।

राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग ५२ सेकेण्ड है । कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रुप से गाया जाता है, (प्रथम तथा अन्तिम पंक्तियाँ) जिसमें लगभग २० सेकेण्ड का समय लगता है। संविधान सभा ने जन-गण-मन को भारत के राष्ट्र-गान के रुप में २४ जनवरी १९५० को अपनाया था। इसे सर्वप्रथम २७ दिसंबर १९११ में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। पूरे गान में ५ पद हैं।
बंगला रूप :
 
जॉनोगॉनोमोनो-ओधिनायोको जॉयॉ हे भारोतोभाग्गोबिधाता!

पॉन्जाबो शिन्धु गुजोराटो मॉराठा द्राबिड़ो उत्कॉलो बॉङ्गो,
बिन्धो हिमाचॉलो जोमुना गॉङ्गा उच्छॉलोजॉलोधितोरोङ्गो,
तॉबो शुभो नामे जागे, तॉबो शुभ आशिश मागे,
गाहे तॉबो जॉयोगाथा।
जॉनोगॉनोमोङ्गोलोदायोको जॉयॉ हे भारोतोभाग्गोबिधाता!
जॉयो हे, जॉयो हे, जॉयो हे, जॉयो जॉयो जॉयो, जॉयो हे॥
हिंदी रूप :
 
जन गण मन अधिनायक जय हे

भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशिष मागे
गाहे तव जय गाथा
जन गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे

राष्ट्र गान के अन्य पद :
पतन-अभ्युदय-वन्धुर-पंथा,

युगयुग धावित यात्री,
हे चिर-सारथी,
तव रथ चक्रेमुखरित पथ दिन-रात्रि
दारुण विप्लव-माझे
तव शंखध्वनि बाजे,
संकट-दुख-श्राता,
जन-गण-पथ-परिचायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता,
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे
घोर-तिमिर-घन-निविङ-निशीथ
पीङित मुर्च्छित-देशे
जाग्रत दिल तव अविचल मंगल
नत नत-नयने अनिमेष
दुस्वप्ने आतंके
रक्षा करिजे अंके
स्नेहमयी तुमि माता,
जन-गण-दुखत्रायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता,
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे
रात्रि प्रभातिल उदिल रविच्छवि
पूरब-उदय-गिरि-भाले, साहे विहन्गम, पूएय समीरण
नव-जीवन-रस ढाले,
तव करुणारुण-रागे
निद्रित भारत जागे
तव चरणे नत माथा,
जय जय जय हे, जय राजेश्वर,
भारत-भाग्य-विधाता,
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे
रोचक तथ्य


रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्व के एकमात्र व्यक्ति हैं, जिनकी रचना को एक से अधिक देशों में राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है। उनकी एक दूसरी कविता अमार शोनार बांग्ला बांग्लादेश का राष्ट्रगान है।


भारत के राष्ट्रीय प्रतीक


ध्वज - तिरंगा

राष्ट्रीय चिह्न - अशोक की लाट

राष्ट्र-गान - जन गण मन

राष्ट्र-गीत - वंदे मातरम्

पशु - बाघ

जलीय जीव - गंगा डाल्फिन

पक्षी - मोर

पुष्प - कमल

वृक्ष - बरगद

फल - आम

खेल मैदानी- हॉकी

कलेंडर- शक संवत

Followers